Monday, August 18, 2008

मेरी तन्हाई



चेहरे पर बर्फ़ीली मुस्कान लिये
काली रात का बाना ओढे
अपनी ठन्डी बाहों मे लपेट कर
मुझे अपना साथी बना लेती है
मेरी तन्हाई


मेरी सफ़ेद आंखो से
बहती खून की धार देख कर
बिलख उठती है वो
फ़िर रख कर अपने
सर्द होठ मेरी पलकों पर
मेरे साथ रोने लगती है
मेरी तन्हाई


दुनिया से दूर
रिश्तों से बेखबर होकर
जब रुह पर लगे
ज़ख्मों को टटोलता हूं कभी
अपनी मुलायम उंगलियों से
सहला कर मेरे जख्मों को
मेरी दवा बन जाती है
मेरी तन्हाई

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