Saturday, September 18, 2010

सिकन्दर

जीवन आंसूओं और मुस्कराहाटों का
एक गठबन्धन है
कभी पर्वतों सी उंचाईयां
तो कभी गहरी घाटियों का संगम है
इस सफ़र का हर लम्हा
नयी चुनौती भरा होता है
मिलते हैं फूल कभी गुलिस्तां के
तो कभी नागफ़नी (कैक्टस) के
जंगलों से गुजरना होता है
घबरा कर जीवन की वास्तविकता से
जो हार जायेगा
वक्त के अंधेरों मे वो कहीं विलीन हो जायेगा
पीस डालेगा जो चट्टानों को अपनी हथेलियों से
इस दुनियां मे
सिकन्दर वही कहलायेगा

1 comment:

सुनीता शानू said...

वाह आकाश जी क्या बात है मज़ा तो सिकंदर होने में ही है जी।