जहां तक नजर जाती है
जीवन में सिर्फ रिक्तता नजर आती है
सुनहरी धूप में जैसे भरा हो कालापन
गुनगुनाती हवाओं में जैसे तैरता हो सूनापन
दूर तक फैला ये रेत का समंदर
जमीं के किनारो से उभरते लम्हों को टटोलती नजर
पता नही क्षितिज के उस पार क्या छिपा है
शायद आने वाला कल आज से बेहतर होगा
बस मेरा संसार इसी उम्मीद पर टिका है
जमीं के किनारो से उभरते लम्हों को टटोलती नजर
पता नही क्षितिज के उस पार क्या छिपा है
शायद आने वाला कल आज से बेहतर होगा
बस मेरा संसार इसी उम्मीद पर टिका है