मेरी बाहों मे लिपटी
मेरे सीने मे अपना सर छुपाये
मेरे दिल की धङकनों के साथ-साथ
गुनगुनाती रही
तुम रात भर
कभी खामोश रही
कभी मुस्करायी
कभी नटखटी आंखों से देखा मुझे
फ़िर कभी मेरे बालों मे
ऊंगलियां फ़िराती रही
तुम रात भर
खामोशी से खफ़ा होकर
जब मैने नाम पुकारा तुम्हारा
धीमे से अपनी ऊंगलियां
रख दी तुमने मेरे होठों पर
फ़िर दीवानो की तरह बार बार
चूमती रही वो रेश्मी ऊंगलियां
तुम रात भर
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1 comment:
bahut khoob
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