Friday, August 26, 2011

तुम्हारी स्मृतियां

कुछ मीठी
कुछ मुस्कराती
कुछ दर्दीली
कुछ रुलाती
कुछ घावों सी रिसती
कुछ घावों पर मरहम लगाती
तुम्हारी स्मृतियां

कविताओं के छंदों मे खोई
किताबों तले फूलों मे संजोई
पेङों की कतारों पर चिपकी
वर्षाती हवाओं मे लिपटी
सितारों सी टिमटिमाती
चांदनी मे नहाती
तुम्हारी स्मृतियां

अपने तन्हा पलों मे मैं खो जाता हूं
तुम्हारी स्मृतियों मे
तराशता हूं एक-एक कर
सहलाता हूं
चूमता हूं प्रेमिका की भांति
सीने से लगाता हूं
शायद इसीलिये
तुम्हारी स्मृतियों ने मुझे अपना लिया है
मेरे दिल मे अपना घर बना लिया है
जो तुम ना कर पायी कभी
तुम्हारी स्मृतियों ने कर दिया
बंजर से मेरे जीवन को
तुम्हारे प्यार से भर दिया

2 comments:

सुनीता शानू said...

कविताओं के छंदों मे खोई
किताबों तले फूलों मे संजोई
पेङों की कतारों पर चिपकी
वर्षाती हवाओं मे लिपटी
सितारों सी टिमटिमाती
चांदनी मे नहाती
तुम्हारी स्मृतियां

बहुत खूबसूरत पंक्तियाँ हैं पढ़ कर एक बारगी लगा मैने ही लिखा है यह।
सादर

आकाश: said...

आप जैसी कवियत्री का मेरे ब्लाग पर आना मेरे लिये सौभाग्य की बात है. आपने कविता पसंद की और मेरा उत्साहवर्धन किया, उसके लिये आपका आभारी हूं.